{"vars":{"id": "125128:4947"}}

महामूर्ख सम्मेलन: गंगा तट पर मूर्खों का जमावड़ा, खूब हुई हंसी ठिठोली

डॉ.राजेंद्र प्रसाद घाट पर हुए आयोजन में बड़ी संख्या में जुटे लोग, हास्य-व्यंग्य की कविताओं ने किया आनंदित

 

वाराणसीभदैनी मिरर। काशी की ख्याति विद्वता में विश्वव्यापी है तो ‘विशिष्ट मूर्खता’ में भी जवाब नहीं है। पहली अप्रैल को एक अकल्पनीय कारमाने ने से कथन की पुष्टि हुई। ‘हम मूर्ख थे, हम मूर्ख हैं और हम मूर्ख रहेंगे। मूर्खता में बात अपने दिल की कहेंगे’-इसी मंतव्य के साथ मंगलवार शाम आरपी घाट पर काशी का महामूर्ख मेला संपन्न हुआ।

मेले में मंचासीन महामूर्खों ने दिल खोल कर अपनी मूर्खता की दास्तां बयां की तो जमकर ठहाके लगे। इस मेले के 57 साल भी इस साल पूरे हो गए। आरपी घाट पर इसका आयोजन सन-1987 से हो रहा है।

आयोजन का प्रारंभ गर्दभ ध्वनि से हुआ तो मंडप में दूल्हा बने हुए नारी का सम्मान किया गया, वहीं दुल्हन बने पुरुष को सोलहो श्रृंगार करके दुल्हन बनाया गया। बेमेल विवाह हुआ। फेरों से पहले दूल्हा डॉ. नेहा द्विवेदी एवं दुल्हन डॉ. शिव-शक्ति प्रसाद द्विवेदी ने लालटेन पर हाथ रख कर शपथ दोहराई।

‘विवाह जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता है। यह जानते हुए कि इसके सफल और विफल दोनों हालात में इसके अपने-अपने खतरे हैं, विवाह विफल हुआ तो दुखों का ज्वार है, सफल हुआ तो चीन की दीवार है। हम यह खतरा सात जनम तक उठाने को तैयार हैं।’

गणितीय रहा फेरों पर सात वचन
यद्यपि पूर्वजों ने इस बात की सिद्धि की है कि व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता विवाह है। इसी को आदर्श वाक्य मानते हुए, यहां पुरुष दुल्हन और स्त्री दूल्हा का उल्टा पलटा विवाह गड़बड़ मंत्रोचार से कराया गया। बाद में दूल्हे ने यह आरोप लगाया की दुल्हन की मूंछें है और दुल्हन टकली हैं। फिर भी समाज के मूर्ख जनों द्वारा शादी किसी तरह बचा कर रखने की सलाह दी लेकिन अंतत विवाह विच्छेद हो गया।
इसके उपरांत मंच काशी की नृत्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्तुति सेठ, अदिति शर्मा व स्तुति ने लोक नृत्य कालबेलिया की प्रस्तुति की। 
साइबर ठग के लिए किया जागरूक
उत्तर प्रदेश पुलिस व साइबर क्राइम पुलिस के प्रतिनिधियों ने साइबर क्राइम पर अपना पक्ष रखकर उपस्थित उन मूर्खों को जागरूक किया जिन को साइबर ठग लूट लिया करते हैं जिससे वे दोबारा मूर्ख ना बन सके। देश के ख्याति प्राप्त स्वधन्य रचनाकारों को, हास्य कवियों को कलाकारों को थीम पर आधारित हथकड़ी उपहार स्वरूप भेंट देकर, दुपट्टा, स्मृति चिन्ह, माला इत्यादि से उनका सम्मान किया गया।
मध्य रात्रि तक लगे ठहाके
हास्य कवि सम्मेलन प्रारंभ होने से लेकर मध्य रात्रि तक लोग ठहाके लगाते रहे और मनहूसियत अगले एक साल तक के लिए दूर भगते रहे। काव्य पाठ करने वाले कवियों में मुख्य रूप से अखिलेश द्विवेदी, सौरभ जैन सुमन, बिहारी लाल अंबर, सुदीप भोला, बादशाह प्रेमी, संजय सिंह, श्याम लाल यादव, महेश चंद्र जायसवाल व डॉ प्रशांत सिंह थे। इन्होंने अपनी रचना सुना कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। कार्यक्रम का संचालन दमदार बनारसी ने किया।