गीता व महामना के उद्घोष से गूंजा के वी पब्लिक स्कूल, बच्चों में बढ़ी भारतीय संस्कृति की समझ
गीता जयंती एवं महामना जयंती पर आयोजित ज्ञान प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा, संस्कार व शिक्षा के संदेशों से पूरा परिसर गुंजायमान
वाराणसी/डेस्क रिपोर्ट। नगर के के वी पब्लिक स्कूल (कर्मनवीर सुसुवाही) का वातावरण सोमवार को भारतीय संस्कृति, शिक्षा और संस्कारों की गूंज से सराबोर रहा। गीता जयंती एवं महामना मदन मोहन मालवीय जयंती के उपलक्ष्य में विद्यालय में गीताज्ञान प्रतियोगिता, भारतीय संस्कृति ज्ञान प्रतियोगिता और गीता श्लोक गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान सैकड़ों बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ भागीदारी दर्ज की।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रबंध निदेशक डॉ. अजय कुमार पाण्डेय के उद्बोधन से हुई। उन्होंने भगवद्गीता और महामना मालवीय जी को भारतीय संस्कृति का अद्वितीय प्रेरक बताते हुए कहा कि उनके जीवन मूल्य बच्चों के चरित्र निर्माण में अमृत के समान हैं।
गीता जयंती और महामना मालवीय जी के आदर्शों को विद्यालयों तक पहुंचाने का यह अभियान, महामना मालवीय स्मृति संस्कार पुस्तकालय एवं मालवीय मिशन (बीएचयू इकाई) के संयुक्त तत्वावधान में चल रहा है। कार्यक्रम का मार्गदर्शन बीएचयू विधि संकाय के प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार गुप्ता के निर्देशन में जारी है, जिसके तहत शहर के 25 विद्यालयों में यह प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं।
मुख्य संयोजक एवं चीफ फार्मासिस्ट ऑफिसर अखिलेश कुमार राय ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मालवीय जी समूचे राष्ट्र के लिए प्रेरणा श्रोत हैं। उनके जीवन मूल्य अपनाकर नई पीढ़ी विकसित भारत के संकल्प को साकार कर सकती है। उन्होंने बताया कि गीता जयंती (1 दिसंबर) से महामना जयंती (25 दिसंबर) तक चल रहे इस आयोजन में हजारों विद्यार्थियों की भागीदारी हो रही है।
अखिलेश राय ने कार्यक्रम में स्वरचित गीत प्रस्तुत किया-“महामना के चरणों में शत शत नमन, हम भी बनेंगे उनके रत्न”। गीत के दौरान बच्चे भावविभोर होकर सम्मिलित हुए और पूरा वातावरण संस्कार, ज्ञान और ऊर्जा से भर उठा।
बच्चों के उद्घोष -“महामना की जय हो, दिसंबर गीतामय हो”, “गीता है सिद्धांत, महामना हैं दृष्टांत”, “हम गीता पढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे” से विद्यालय का परिसर देर तक गूंजता रहा।
कार्यक्रम में विद्यालय परिवार की सक्रिय भूमिका और बच्चों की अनुशासित भागीदारी ने आयोजन को सफल और यादगार बना दिया। यह आयोजन न सिर्फ विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि उन्हें महामना मालवीय जी के आदर्श जीवन से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास भी सिद्ध हुआ।