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SC ने याचिका ख़ारिज करते हुए दी नसीहत, कहा यह पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है

राजनीतिक दलों की कथित गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज, याचिकाकर्ता को दी गई हाई कोर्ट जाने की सलाह, चेतावनी भी दी

 

नई दिल्ली।  उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें देशभर के राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों की कथित अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह याचिका जनहित से ज्यादा "पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन" लगती है और ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई संभव नहीं है। CJI ने साफ कहा, “जनहित याचिकाओं के नाम पर पब्लिसिटी याचिकाओं की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर नाराजगी

पीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा सीधे अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट आने पर आपत्ति जताई। याचिका घनश्याम दयालु उपाध्याय ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के खिलाफ दायर की थी।
CJI ने पूछा — “क्या यह मामला मुंबई हाई कोर्ट में नहीं उठाया जा सकता था?” उन्होंने कहा कि यह याचिका नीतिगत मामलों से जुड़ी है और सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने का औचित्य नहीं है।


सुनवाई के दौरान CJI गवई ने याचिकाकर्ता के वकील से नाराज होकर कहा — “मुझे ये तेवर मत दिखाओ। मुझे याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि मुंबई हाई कोर्ट में क्या हुआ था। मैंने पहले भी आपको अवमानना से बचाया है।”

पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और वैकल्पिक उपाय अपनाने की अनुमति दी। याचिका में सभी राज्य निर्वाचन आयोगों को एक संयुक्त योजना बनाकर राजनीतिक दलों की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।