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निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरिंदर कोली बरी, पुलिस जांच पर अदालत ने उठाए गंभीर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा— फोरेंसिक साक्ष्य नहीं थे पुख्ता, कोली का कबूलनामा अविश्वसनीय; जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी

 

दिल्ली, डिजिटल डेस्क । देश को झकझोर देने वाले निठारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने मुख्य आरोपी सुरिंदर कोली को सभी आरोपों से बरी कर दिया है और उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पुलिस जांच में भारी खामियां थीं और कोली के खिलाफ प्रस्तुत सबूत फोरेंसिक रूप से समर्थित नहीं थे।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि कोली का कथित कबूलनामा अविश्वसनीय है क्योंकि वह 60 दिनों से अधिक समय तक बिना कानूनी सहायता और मेडिकल जांच के हिरासत में था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “जांच एजेंसियों ने अपराध स्थल की सुरक्षा, सबूतों के संरक्षण और गवाहों से पूछताछ में गंभीर लापरवाही बरती।” कोर्ट ने यह भी कहा कि घर डी-5 के बाहर से बरामद चाकू, कुल्हाड़ी और मानव अवशेषों का कोली से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अर्ध-शिक्षित घरेलू नौकर द्वारा बिना किसी चिकित्सकीय ज्ञान के शवों को इस तरह से काटना अविश्वसनीय प्रतीत होता है। अदालत ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि फोरेंसिक रिपोर्ट में कथित अपराध स्थल पर मानव खून या अवशेषों के निशान नहीं मिले।

जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला पढ़ते हुए कहा- “याचिकाकर्ता सुरिंदर कोली को आरोपों से बरी किया जाता है। उसे तत्काल रिहा किया जाए।”

कोली पर 15 वर्षीय लड़की के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का आरोप था और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। यह सजा 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी थी, पर अब शीर्ष अदालत ने जांच की खामियों और सबूतों की कमजोरी के चलते उसे बरी कर दिया है।

बता दें, निठारी कांड दिसंबर 2006 में उस समय उजागर हुआ था जब नोएडा के निठारी गांव में एक नाले से मानव अवशेष मिले थे। जांच के दौरान मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरिंदर कोली पर कई हत्याओं, दुष्कर्म और अपहरण के आरोप लगे।

सीबीआई ने जांच संभाली और कोली के खिलाफ कई मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए। बाद में उसे 10 से अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया और कई बार फांसी की सजा सुनाई गई।

वर्ष 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली और पंढेर दोनों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। हालांकि पीड़ितों के परिवारों और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब शीर्ष अदालत ने कोली को अंतिम रूप से बरी करते हुए न्याय प्रक्रिया की खामियों पर सख्त टिप्पणी की है।