ED का बड़ा एक्शन: आप नेता सत्येंद्र जैन की 7.44 करोड़ की संपत्ति कुर्क, अब तक कुल 12.25 करोड़ की कुर्की
मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की कार्रवाई तेज, 2015-2017 के बीच आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप
पहले भी कुर्क हो चुकी हैं 4.81 करोड़ की संपत्तियां
नोटबंदी के बाद जमा हुए 7.44 करोड़ रुपये पर जांच एजेंसियों की नजर
कोर्ट और आयकर विभाग ने अंकुश व वैभव जैन को माना बेनामी धारक
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने कथित रूप से उनके द्वारा नियंत्रित कंपनियों से जुड़ी 7.44 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं। यह कार्रवाई 15 सितंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई।
पहले भी हो चुकी है कुर्की
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि सत्येंद्र जैन ने मंत्री रहते हुए 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 तक आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। इसी मामले में 31 मार्च 2022 को ईडी ने उनकी कंपनियों की 4.81 करोड़ की अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की थीं। इसके बाद 27 जुलाई 2022 को अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaint) दर्ज की गई, जिस पर कोर्ट ने 29 जुलाई को संज्ञान लिया।
अब ताजा कार्रवाई के बाद कुल कुर्की राशि 12.25 करोड़ रुपये हो गई है।
नोटबंदी के बाद जमा हुए 7.44 करोड़
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के तुरंत बाद, जैन के करीबी सहयोगी और कथित बेनामी धारक अंकुश जैन और वैभव जैन ने बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपये नकद आय घोषणा योजना (IDS), 2016 के तहत जमा किए थे।
दोनों ने दावा किया कि 2011 से 2016 के बीच अर्जित 16.53 करोड़ रुपये की संपत्ति पर उनका मालिकाना हक है। यह रकम और संपत्तियां मि. अकिनचन डेवलपर्स प्रा. लि., मि. प्रयास इन्फोसोल्यूशंस प्रा. लि., मि. मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. और मि. इंडो मेटल इम्पेक्स प्रा. लि. जैसी कंपनियों में दिखाई गई थीं। ईडी का कहना है कि ये सभी कंपनियां वास्तव में सत्येंद्र जैन के नियंत्रण में थीं।
अदालतों ने माना बेनामी संपत्ति
आयकर विभाग और दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंकुश जैन और वैभव जैन को सत्येंद्र जैन का बेनामी धारक माना। इसके खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका (SLP) और पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दीं।
ईडी ने इस पूरी जानकारी को PMLA की धारा 66(2) के तहत सीबीआई को साझा किया। इसके आधार पर सीबीआई ने आगे की जांच की और एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें सत्येंद्र जैन के मंत्री रहते हुए अनुपातहीन संपत्ति का आंकड़ा और बढ़ गया।