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Varanasi: रेपिस्ट को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, आठ साल के मासूम संग दुष्कर्म के बाद की थी हत्या 

सरकारी स्कूल में बोरे में भरकर फेंका था शव, मुठभेड़ में पुलिस ने किया था गिरफ्तार 

 

वाराणसी। आठ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के जघन्य मामले में वाराणसी की पॉक्सो कोर्ट ने कठोर निर्णय सुनाते हुए आरोपी इरशाद को फांसी की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट तृतीय) विनोद कुमार की अदालत ने आरोपी को दोषी पाते हुए 60 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अदालत ने आदेश दिया कि पूरी राशि मृतक बच्ची के पिता को प्रतिकर के रूप में दी जाए।

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संदीप कुमार जायसवाल और वादी पक्ष के अधिवक्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी ने अदालत में पक्ष रखा।


घटना का पूरा मामला

वादी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, 24 दिसंबर 2024 की शाम लगभग 6:30 बजे उसकी 8 वर्षीय बच्ची घर से निकट की दुकान पर ‘गुड नाइट अगरबत्ती’ लेने गई थी। लेकिन बच्ची वापस घर नहीं लौटी। परिजनों ने खोजबीन की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। वादी ने घटना की सूचना सूजाबाद चौकी और 112 नंबर पर दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अगले दिन, 25 दिसंबर, लोगों ने बताया कि सरकारी स्कूल, बलदुरपुर में एक बोरे में बच्ची का शव पड़ा है। सूचना पर पहुंची रामनगर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू की।

 CCTV फुटेज से खुला राज

मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन रामनगर थाना प्रभारी राजू सिंह ने जांच तेज की। क्षेत्र में लगे CCTV कैमरों की जांच की गई तो सामने आया कि मोहल्ले का ही रहने वाला इरशाद बच्ची को अपने साथ ले गया था।
जब पुलिस उसके घर पहुंची तो वह फरार मिला। 26 दिसंबर 2024 को सूचना मिली कि आरोपी डोमरी क्षेत्र में मौजूद है और भागने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने घेराबंदी की तो इरशाद ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली उसके पैर में लगी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपी ने कबूला अपना अपराध

गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में इरशाद ने बताया कि वह बच्ची को दुकान जाते देख छिप गया था। बच्ची के लौटते ही उसने उसका मुंह दबाया और सुनसान जगह ले जाकर दुष्कर्म किया।
पकड़े जाने के डर से उसने बच्ची का स्कार्फ से गला दबाकर हत्या कर दी। बाद में शव को बोरे में भरकर सरकारी स्कूल ले जाकर फेंक दिया और बोरे पर पत्थर मारकर पहचान छिपाने की कोशिश की।

अदालत ने क्यों सुनाई फांसी?

अदालत ने इसे ‘रेयर ऑफ रेयर’ अपराध मानते हुए कहा कि आरोपी ने अत्यंत निर्दयता और क्रूरता के साथ एक मासूम की जान ली। समाज में भय फैलाने वाले ऐसे अपराधियों के प्रति दया नहीं की जा सकती।