Varanasi : फ्लैट दिलाने के नाम पर कांस्टेबल से 15 लाख की ठगी, ब्लैंक चेक और EMI चुकाने का दिया झांसा
वाराणसी। एक पुलिस कांस्टेबल से फ्लैट दिलाने के नाम पर लगभग 15 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। महिला आयोग प्रकोष्ठ, कमिश्नरेट वाराणसी में तैनात आरक्षी अखिलेश यादव ने इस संबंध में डीसीपी (अपराध) को लिखित शिकायत देकर गौरव गुप्ता नामक व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मुलाकात से शुरू हुई ठगी की कहानी
अखिलेश यादव की गौरव गुप्ता से जान-पहचान उस समय हुई थी जब उनकी पोस्टिंग जैतपुरा और सारनाथ थानों में थी। गौरव अशोक विहार कॉलोनी, पहड़िया का रहने वाला है और सारंग चौराहा स्थित विक्रांत फाइनेंशियल सर्विसेज और हट एंड ग्रिल रेस्टोरेंट का संचालन करता है।
गौरव ने अखिलेश को भरोसा दिलाया कि वह अप्रैल 2025 में एक नया अपार्टमेंट खरीदने जा रहा है और यदि वह एडवांस रकम दे दें, तो उसी प्रोजेक्ट में उन्हें भी फ्लैट मिल जाएगा। यदि पसंद न आए तो पूरा पैसा वापस करने का भी आश्वासन दिया गया।
विश्वास दिलाने को दिया ब्लैंक चेक और स्टांप पेपर
गौरव ने अपनी बात पक्की करने के लिए अखिलेश को ब्लैंक चेक और स्टांप पेपर सौंपा। इस पर भरोसा कर कांस्टेबल ने पहले बैंक ऑफ बड़ौदा, नदेसर शाखा से 10 लाख रुपये का लोन लिया, जिसमें से 5 लाख गौरव को दे दिए। फिर चेतगंज शाखा से 7 लाख का एक और लोन लेकर शेष रकम भी गौरव को सौंप दी गई। इसके अलावा, उनकी पत्नी और सास के खातों से भी लगभग 3 लाख रुपये गौरव को दिए गए। कुल मिलाकर ठगी की रकम करीब 15 लाख रुपये हो गई।
EMI चुकाने का वादा भी निकला झूठा
गौरव गुप्ता ने कांस्टेबल को यह भरोसा भी दिया कि वह हर महीने बैंक की ईएमआई (₹29,468) खुद चुकाएगा। फरवरी 2025 तक उसने ईएमआई का भुगतान किया भी, लेकिन मार्च और अप्रैल से उसने न केवल किस्तें देना बंद कर दिया, बल्कि फोन कॉल और मैसेज का जवाब देना भी छोड़ दिया।
उल्टा मांगता रहा पैसे, बढ़ा मानसिक तनाव
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि गौरव खुद ही उन्हें बार-बार कॉल करके और पैसे मांगता रहा। इस पूरे घटनाक्रम से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और वह गहरे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। इस मामले में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 506 (धमकी देना) जैसी गंभीर धाराएं लग सकती हैं।
अखिलेश द्वारा सौंपे गए चेक, स्टांप पेपर और बैंक लेन-देन के रिकॉर्ड को जांच का आधार बनाया गया है।
डीसीपी (अपराध) ने जांच के आदेश दे दिए हैं। अगर गौरव गुप्ता की भूमिका पक्की साबित होती है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।