VARANASI: मालवीय प्रतिमा की सफाई मामले में 6 पत्रकारों पर केस दर्ज, हो रही निंदा
मालवीय प्रतिमा की सफाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लंका थाने में 6 पत्रकारों पर केस, एक्स पर वीडियो साझा करने वाले एक अन्य पर भी एफआईआर
Updated: Jun 27, 2025, 11:56 IST
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रतिष्ठित सिंह द्वार पर लगे संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् और पर्यावरणविद् महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा के ऊपर कंधे पर चढ़कर की जा रही सफाई का वायरल वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से अफसरों के संज्ञान में लाना महंगा पड़ गया है। इमरजेंसी को लोकतंत्र की हत्या और विभीषिका बताने वाली बीजेपी सरकार में ही पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पत्रकारों के ऊपर लंका थाने में केस रजिस्टर्ड किया गया है।
व्हाट्सएप पर यह वीडियो साझा करने पर लंका थाना पुलिस ने 6 पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनमें वीडियो बनाने और वायरल करने वाले पत्रकार अरशद आलम, अभिषेक झा, अभिषेक त्रिपाठी, सोनू सिंह, शैलेश चौरसिया शामिल है। वहीं, एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वीडियो डालने के मामले में एक नितिन राय के खिलाफ एक अन्य केस दर्ज हुआ है।
यह है पूरा मामला
बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल होने लगा। जिसमें दो युवक मालवीय प्रतिमा पर चढ़े थे। यह वीडियो 9 सेकेंड का था। एक युवक मालवीय जी के कंधे पर चढ़ा दिखाई दे रहा था। इस वीडियो के वायरल होने पर पत्रकारों ने व्हाट्सअप ग्रुप के माध्यम से अफसरों के संज्ञान में लाया।
वीडियो वायरल होते ही पुलिस की ओर से जानकारी दी गई कि प्रथम दृष्टया मामला साफ-सफाई का प्रतीत हो रहा है।
उसके बाद गुरुवार सुबह सूचना विभाग ने PWD के अधिशासी अभियंता की ओर से जानकारी साझा की। बताया कि PWD के ठेकेदार तुषार कुमार द्वारा सिंह द्वार स्थित मालवीय जी की प्रतिमा की सफाई कराई जा रही थी। सफाई कार्य के दौरान रूपमपुर निवासी सचिन और अमन यादव प्रतिमा की धुलाई कर रहे थे।
चौकी प्रभारी संकटमोचन की तहरीर पर केस
चौकी प्रभारी संकटमोचन दरोगा अभिषेक सिंह की तहरीर पर केस रजिस्टर्ड किया गया है। तहरीर में आरोप लगाया गया है कि जातिगत टिप्पणी करते हुए वीडियो वायरल कर माहौल खराब करने की कोशिश की गई है।
अब उठ रहे यह सवाल
- क्या सोशल मीडिया पर सच्चाई दिखाना अब संविधान विरोधी हो गया है?
- क्या प्रशासनिक ढीलापन उजागर करना अब दंडनीय अपराध है?
- क्या प्रेस की स्वतंत्रता को ‘इमरजेंसी स्टाइल’ में कुचला जा रहा है?