नीलगिरी इंफ्रासिटी फ्रॉड: जेल में सीएमडी, बाहर निवेशकों से सौदेबाजी की कोशिशें तेज
विकास सिंह, रीतू सिंह और प्रदीप यादव पर दर्ज हैं 113 मुकदमे, निवेशकों पर न्यूनतम राशि पर केस निपटाने का डलवा रहे दबाव
May 29, 2025, 01:32 IST
वाराणसी, भदैनी मिरर। फर्जीवाड़ा कर हजारों निवेशकों को ठगने वाली चर्चित कंपनी नीलगिरि इंफ्रासिटी के सीएमडी विकास सिंह, एमडी रीतू सिंह और प्रबंधक प्रदीप यादव एक बार फिर जेल में हैं, लेकिन इस बार नया खेल बाहर शुरू हो गया है। अब कंपनी के करीबी न्यूनतम राशि पर समझौते के लिए निवेशकों पर दबाव बना रहे हैं।
कंपनी के सीएमडी, एमडी के करीबी निवेशकों को फोन कर न्यूनतम रकम लेकर मुकदमे खत्म करने का दबाव बना रहे हैं। निवेशकों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि “अब मामला खत्म करें, ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा।” बीते दो दिन में अशोक विहार कॉलोनी, छावनी, पूर्व सैनिक के परिजनों, गाजीपुर के मोहम्मदाबाद निवासी, चंदौली आदि के निवेशकों को फोन गए हैं। फोन पर मूल राशि या फिर इससे कम राशि ले-देकर समझौते की बात कही जा रही है। जबकि निवेशकों के पैसे 8 से 10 साल पहले के दिये हुए हैं। ऐसे में वे इनकार कर रहे हैं।
विकास सिंह और उसकी पत्नी रीतू सिंह, जो पहले से ही महमूरगंज की महाराज नगर कॉलोनी में रहते हैं, के खिलाफ अकेले चेतगंज थाने में 113 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें धोखाधड़ी, निवेशकों को गुमराह कर पैसा वसूलने और अनुबंधों के उल्लंघन जैसे संगीन आरोप शामिल हैं। पुलिस ने गैर-जमानती वारंट के आधार पर इन्हें हाल ही में दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेजा है। तीसरा गिरफ्तार आरोपी प्रदीप यादव लक्सा थाना क्षेत्र के जद्दूमंडी मोहल्ले का रहने वाला है, जो कंपनी में बतौर मैनेजर काम करता था।
बता दें, कंपनी ने मलदहिया स्थित इंडियन प्रेस कॉलोनी में दफ्तर खोलकर नीलगिरी इंफ्रासिटी के नाम पर लोगों को सस्ते दामों में प्लॉट देने, विदेश यात्रा पैकेज, और कार देने जैसे लालच देकर बड़े पैमाने पर निवेश कराया। इस झांसे में आकर वाराणसी सहित पूर्वांचल के कई जिलों और बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के सैकड़ों लोग प्रभावित हुए। नीलगिरी इंफ्रासिटी ने लोगों को जमीन खरीदने का सुनहरा सपना दिखाया और धोखाधड़ी की। कंपनी ने शुरुआत में कुछ लोगों को भुगतान कर विश्वास हासिल किया, लेकिन जैसे-जैसे मामला बढ़ा, हजारों लोगों के पैसे डूबते चले गए। गौरतलब है कि तीनों आरोपितों की साल 2021 में भी गिरफ्तारी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट से इन्हें इस शर्त पर जमानत मिली थी कि वे निवेशकों का पैसा लौटाएंगे। कुछ धनराशि लौटाई भी गई, लेकिन इसके बाद नए पीड़ित सामने आए और फिर से मुकदमे दर्ज होने लगे। अब दोबारा गिरफ्तारी के बाद निवेशकों को उम्मीद जगी है कि उनका डूबा धन उन्हें मिल जाएगा।
फ्रॉड कंपनी नीलगिरी इंफ्रासिटी के सीएमडी विकास सिंह की क्राइम हिस्ट्री