दिवंगत पंडित जसराज की यादों से शुरु हुई संकटमोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा, गायन-वादन-नृत्य की बही त्रिवेणी...

दिवंगत पंडित जसराज की यादों से शुरु हुई संकटमोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा, गायन-वादन-नृत्य की बही त्रिवेणी...

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री संकट मोचन संगीत समारोह के द्वितीय निशा की शुरुआत दिवंगत रसराज पंडित जसराज जी हाजिरी से हुआ। पिछले वर्ष अमेरिका के न्यू जर्सी शहर से ऑनलाइन दिए गए सार्वजनिक प्रस्तुति की वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रसारण किया गया। उद्घोषक सौरव चक्रवर्ती ने बताया कि पंडित जसराज जी की यादों को संजोकर हमने रखा है और उसका प्रसारण करने जा रहे है तो देश-दुनिया में बैठे उनके शिष्य व प्रसंकों के खुशी का ठिकाना न रहा। गायकी के अंतिम चरण में रसराज की आंखों में अश्रुधार  बहने लगी और उन्होंने कहा 'आपने सुनी ना मेरे बाबा' उस वक्त कमेंट बॉक्स में रोने की अनुभूति कराने वाले इमोजी की बाढ़ सी आ गई। 


संगीत मार्तण्ड, पद्मविभूषण पंडित जसराज जी उन कलाकारों में थे जो हर वर्ष भगवान को अपनी स्वरांजलि अर्पित करते थे, पिछले वर्ष उन्होंने दो बार हनुमान जयंती और संगीत समारोह के दिन अपनी आस्था अमेरिका के न्यू जर्सी से भगवान के चरणों में अर्पित की थी। जब वह इस वर्ष नहीं है तो हम श्रोताओं के कहने पर मंदिर का यादगार अंतिम उनका वीडियो चलाया गया।- महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र


दूसरी निशा जी दूसरी प्रस्तुति बनारस से युवा कलाकार अंकुर मिश्रा के सितार वादन की रही उनके साथ तबले पर संगत उनके भाई अभिषेक मिश्र ने की। अंकुर मिश्र ने राग रागेश्री में अलाप जोड़ झाला का सुमधुर वादन किया। अंकुर ने वादन का समापन राग मिश्रपिलु में धुन से किया। बनारस से वसुंधरा शर्मा तीसरी प्रस्तुति के रूप में ऑनलाइन हुई। भगवान शिव जी वंदना पर भावपूर्ण नृत्य के बाद उन्होंने तीन ताल में पारंपरिक कथक का प्रदर्शन बनारस घराने की विशेषताओं के साथ किया। टुकड़ा, तिहाई, परम के बाद तराना के अलग-अलग बोलों पर उनका सधा हुआ नृत्य दर्शकों को खूब भाया। समापन पंडित राजन साजन मिश्र के गाए राम भजन पर भाव नृत्य से किया। चौथी प्रस्तुति के लिए बनारस से ही देवाशीष डे इस समारोह से ऑनलाइन जुड़े। देवाशीष डे अपने इस संगीत समारोह से जुड़ी स्मृतियों को आधार बनाकर गायन किया। बचपन में उन्होंने पंडित जसराज को राग कौशिक कान्हड़ा गाते सुना था, इसलिए उसी राग में उनके प्रति श्रद्धा निवेदित की। विलंबित ख्याल गायन के लिए बंदिश 'राजन के सिर ताज राजा श्री रामचंद्र' का चयन कर उन्होंने पंडित राजन मिश्र को भी श्रद्धांजलि दी। बाबा के दरबार में यह उनकी लगातार चौथी प्रस्तुति थी, दो बार उन्होंने मंच से और पिछले वर्ष उन्होंने अपनी रिकॉर्डिंग भेजी थी।


अगली प्रस्तुति के लिए ग्वालियर घराने की प्रतिनिधि कलाकार मंजूषा पाटिल मुंबई से हाज़िरी लगाने के लिए  जुड़ीं। उन्होंने राग पूरिया में एकताल एवं द्रुत तीनताल की रचना सुनाई।मंजूषा ने भजन "पायो जी मैंने राम रतन धन पायो" गाकर अपनी प्रस्तुति का समापन किया। उसके बाद सारंगी वादन के लिए कुमार सारंग जुड़े। उन्होंने राग चारुकेशी की अवतारणा की उनको तबला वादन पर सहयोग ललित कुमार ने दिया। और द्वितीय निशा की अंतिम प्रस्तुति गायन की रही। दिवंगत पद्मविभूषण पंडित जसराज की शिष्या पारोमिता देशमुख मुंबई से भजन की प्रस्तुति दी। हनुमान जी के हृदय स्पर्शी भजन, आरती "आरती कीजे हनुमान लला की" गाकर सुनाया। अंत में राग भैरवी में निबद्ध रचना "गुरु चरणन में निसदिन रहिए" गाकर उन्होंने कार्यक्रम को विराम दिया।