तेलंगाना से काशी पहुंचा शख्स मौत को लगाने जा रहा था गले, परिजनों की सूचना पर कमिश्नरेट पुलिस ने बचाया, कारण जान हैरान रह जाएंगे आप...!

The person who reached Kashi from Telangana was going to embrace death. On the information of the relatives, the Commissionerate Police saved. Because you will be surprised to know. 1200 किलोमीटर दूर चलकर काशी में आत्महत्या कर मौत को गले लगाने आई पुलिस ने खोज निकाला और एसीपी ने कहा ऐसी घटनाएं काशी में मोक्ष के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने के साथ ही काशी की संस्कृति को भी खराब कर रही हैं।

तेलंगाना से काशी पहुंचा शख्स मौत को लगाने जा रहा था गले, परिजनों की सूचना पर कमिश्नरेट पुलिस ने बचाया, कारण जान हैरान रह जाएंगे आप...!
श्रीनिवास को परिजनों को सुपुर्द करती दशाश्वमेघ पुलिस।

वाराणसी,भदैनी मिरर। हर सनातनी की इच्छा होती है की वह मोक्ष नगरी काशी में ही अंतिम सांस ले। लेकिन वह यदि खुद से मौत को गले लगाता है मोक्ष का हकदार नहीं है। एक ऐसा मामला शनिवार की रात हुआ, जब परिजनों की सूचना पर वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने एक परिवार को खोने से बचा लिया। पुलिस की तत्परता को लेकर परिजनों ने दशाश्वमेघ पुलिस को धन्यवाद कहा।

व्यापार में नुकसान हुआ तो चला आया काशी

करीब 1200 किलोमीटर दूर तेलंगाना से परिजनों को बिना बताए काशी पहुंचे शराब कारोबारी श्रीनिवासी ने रविवार को अचानक अपनी पत्नी को फोन कर कहा कि तुम अपना और अपने बच्चों का ख्याल रखना। उसके बाद श्रीनिवास ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिया। घबराए परिजनों ने वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस से संपर्क किया तो कड़ी मशक्कत से पुलिस ने पांडेयहवेली स्थित रामतारक आश्रम से खोज निकाला। पुलिस ने जब कारण पूछा तो उसने बताया कि शराब के ठेके के टेंडर में उसे लगभग 50 लाख रुपए का घाटा हुआ था। इसके बाद उसे समझ में नहीं आया कि वह अब क्या करे। जीवन से निराश होकर उसने मरने की ठानी, तभी उसे काशी का ध्यान आया कि यहाँ मरने से मोक्ष प्राप्ति होती हैं औऱ आत्महत्या का भी पाप नहीं लगता। इसलिए वह चुपचाप वाराणसी के लिए निकला और 17 दिसंबर की सुबह यहां पहुंचा।

आत्महत्या के लिए खोज रहा था स्थान

 पुलिस को श्रीनिवास ने बताया कि उसने पत्नी को बता दिया था कि अब वह कभी घर नहीं आएगा। इसके बाद वह पांडेयहवेली क्षेत्र के रामतारक आश्रम में अपना नाम और पता गलत बताकर एक कमरा लिया। गंगा घाटों के किनारे वह घूम कर जान देने के लिए स्थान खोज रहा था तभी पुलिस  के आने जाने पर उसे बचा लिया गया। इस पूरी घटना को लेकर एसीपी दशाश्वमेध अवधेश कुमार पांडेय ने बताया कि सोशल मीडिया से के श्रीनिवास के संबंध में मिली जानकारी के आधार पर पर उच्चाधिकारियों ने उनकी खोजबीन का निर्देश दिया। दशाश्वमेध थाना प्रभारी आशीष मिश्रा को के श्रीनिवास की खोजबीन के लिए लगाया गया। चूंकि के श्रीनिवास ने अपना नाम-पता गलत बता रखा था इसलिए उनका पता ही नहीं लग रहा था। इसके बाद दशाश्वमेध थाना प्रभारी ने दक्षिण भारतीय और खासतौर से तेलंगाना से आने वाले श्रद्धालुओं से संबंधित आश्रमों के एक-एक कमरे को खुलवा कर चेकिंग करनी शुरू की तो के श्रीनिवास रामतारक आश्रम में मिले। के श्रीनिवास को उनके चचेरे भाई कृष्णाधि साईंराम और साले पोशाल सुमन को सौंपा गया है। इस तरह की घटनाएं काशी में मोक्ष के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा  देने के साथ ही काशी की संस्कृति को भी खराब कर रही हैं।