संस्था प्रमुखों ने बैठक कर कहा गंगा आरती में प्रशासनिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं, CM और PM को पत्र लिखकर बोले सैकड़ों वर्षों से पुरोहितों के अधिकार में है काशी के घाट...

पारंपरिक गंगा आरती प्रमुखों को बाढ़ का हवाला देकर सांकेतिक आरती करने के बाबत दिए गए पत्र को लेकर काशी के घाटों पर गंगा आरती करवाने वाले करीब 40 संस्था के लोगों ने आपात बैठक आहूत की.

संस्था प्रमुखों ने बैठक कर कहा गंगा आरती में प्रशासनिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं, CM और PM को पत्र लिखकर बोले सैकड़ों वर्षों से पुरोहितों के अधिकार में है काशी के घाट...
संस्था प्रमुखों की बैठक को संबोधित करते संकटमोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर विशम्भरनाथ मिश्र।

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी से जुड़ी धार्मिक संस्थाओं एवं संगठनों ने दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध माँ गंगा की आरती को लेकर प्रशासनिक हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री से मांग की है. कहा है कि वाराणसी में माँ गंगा आरती पौराणिक काल से चली आ रही है. इससे करोड़ो लोग जुड़े है. भारतीय जनमानस की आस्था माँ गंगा और उनकी नियमित होने वाली संध्या आरती से जुड़ी है. यहां की माँ गंगा आरती की भव्यता को देखते हुए भारत सरकार ने पर्यटन मानचित्र पर इसे अतुल्य भारत (इंक्रेडिबल इंडिया) के रूप मे जोड़ा है. लेकिन हालिया दिनों में परंपरागत आरती पर रोक लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप किया जा रहा है जो कही न कही सनातनियों की आस्था पर कुठाराघात है. उक्त बातें सोमवार को लहुराबीर स्थित प्लानर इंडिया में संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय मुन्नन महाराज सभागार में काशी के घाटों पर होने वाली दैनिक माँ गंगा की आरती समितियों की आकस्मिक बैठक में हुई. 


काशी के घाटों पर होने वाली करीब 40 से ज्यादा परंपरागत आरती कराने वाली संस्थाओं और संगठनों के लोग इकट्ठा हुए कहा की परंपरागत धार्मिक क्रियाकलापों पर पुलिस प्रशासन द्वारा किए गए हस्तक्षेप को रोका जाए और ऐसे स्थलों पर हो रही दर्शनार्थियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की जाए. बैठक में सहायक पुलिस आयुक्त दशाश्वमेध द्वारा भेजे गए पत्र काशी मे होने वाली माँ गंगा की आरती के सभी समितियों ने बैठक कि जिसमें मुख्य रूप से निन्नलिखित बिन्दूओं पर विचार किया गया-

  1. प्रशासन द्वारा घाट के स्वामित्व पर प्रश्नचिन्ह उठाया गया है जिसके विषय में कन्हैया लाल त्रिपाठी जी द्वारा तर्क दिया गया की घाट पे स्वामित्व ढाई सौ सालों से घाट के पुरोहितों का रहा है और सदैव घाट पुरोहितों का ही रहेगा इसमें प्रश्न लगाने का कोई तर्क ही नहीं होता।
  2. केन्द्रीय देव दीपावली समिति के अध्यक्ष आचार्य वागीस दत्त द्वारा सभा को संबोधन देते हुए कहा गया कि काशी में भगवती माँ गंगा की आरती करने वाली प्रत्येक संस्था को एक जुट एवं साथ मिल कर एक निति तैयार करनी होगी जिससे की प्रशासन की तानाशाही का उत्तर एक जुट हो के दिया जा सके।
  3. संकटमोचन फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. विशंभरनाथ मिश्रा ने बैठक के संबोधन में कहा गया कि माँ गंगा न केवल काशीवासियों की बल्कि पूरे देश की आस्था का स्वरूप हैं। काशी में होने वाली माँ गंगा की आरती से काशी के पण्डा, पुरोहीत, नाविको एवं बडी संख्या में स्थानीय लोगो को जिविका का श्रोत है जहाँ तक घाट के स्वामित्व का प्रश्न है तो वह सैकड़ों वर्षों से घाट के पुारहितों के अधिकार में है और सर्वदा उनके अधिकार में ही रहेगा इसका साक्ष्य देने की कोई आवश्कता ही नहीं है।
  4. गंगोत्री सेवा समिति, शीतला घाट के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमन दूबे बाबू महाराज ने अपनी बात रखते हुए बैठक में उपस्थित सभी समितियों के सदस्यों से अनुरोध किया कि इस समस्या का निवारण एकजुटता में है न की अकेले चलने में।
  5. बाढ़ के दौरान 32 वर्षों से माँ गंगा की पारम्परिक रूप से आरती निरन्तर बिना किसी व्यवधान के होती चली आ रही है। माँ गंगा की आरती में हस्तक्षेप करना हम सभी सनातनियों की भावना को आहत करने जैसा है परम्परागत सप्तत्रृषि आरती, आस्था एवं धर्म का विषय है और यह मनोरंजन का कोई कार्यक्रम नहीं है। श्रद्धालुओं का आगमन आस्था एवं धर्म का विषय है और इनकी संख्या भी स्थान के अनुरुप ही होती है।

अव्यवहारिक है पुलिस का रवैया

गंगा में आई बाढ़ के मद्देनजर परंपरागत गंगा आरती को स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा का हवाला देते हुए रोक लगाने और सांकेतिक गंगा आरती करने के आदेश को विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अव्यवहारिक करार दिया. कहा की लाखो लोग कुंभ मेले में आते है. सावन माह में बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करते है. देवदीपावली पर लाखो की भीड़ घाट पर इकट्ठा होती है. जिसकी सुरक्षा पुलिस प्रशासन हमेशा संस्थाओं का सहयोग लेकर करती रही है. बनारस में गंगा आरती और अन्य धार्मिक परंपरा को अक्षुण बनाए रखना जितना काशी की जनता और संस्थाओं का दायित्व है उतना ही जिला प्रशासन का. संस्थाओं ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से मुलाकात करने का भी निर्णय लिया है. जिसमें प्रमुख रूप से बैठक में गंगा सेवा निधि के सुशांत मिश्र, गंगा सेवा निधि के संरक्षक एम. श्याम लाल सिंह, संकटमोचन फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. विशंभर नाथ मिश्रा, गंगोत्री सेवा समिति शीतल घाट के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमन दूबे बाबू महाराज, केंद्रीय देव दीपावाली समिति के अध्यक्ष बागिश दत्त मिश्र, केशव जालान, व्यापार मण्डल के अध्यक्ष प्रेम मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार अरूण मिश्र ,जय माँ गंगा सेवा समिति अस्सी घाट, कन्हैया लाल त्रिपाठी, अहिल्याबाई घाट माँ गंगा योग आरती मण्डल समिति, गायत्री परिवार, माँ गंगा सेवा नवयुवक समिति मणिकर्णिका घाट, सत्य प्रचार मण्डल दत्तात्रेय, श्री हनुमान जी न्यास, गंगा अर्चन सेवा समिति, काशी गंगा सेवा समिति, गंगा सेवा दल, नमोस्तुते गंगा सेवा समिति, माँ गंगा दैनिक आरती सेंध घाट समिति रामनगर तथा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहें.