10 तस्वीरों में देखें काशी में छठ पूजा की धूम : भगवान भास्कर को दिया गया पहला अर्घ्य, छठ गीतों से गुंजित रहे घाट, कल होगा समापन...
लोकआस्था के पर्व डाला छठ को लेकर आस्थावानों की भीड़ गंगा घाट पर उमड़ पड़ी। धर्म की राजधानी काशी में बस एक बहाना चाहिए उत्सव मनाने का। See in pictures the pomp of Chhath Puja in Kashi The first Arghya offered to Lord Bhaskar
वाराणसी,भदैनी मिरर। भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। अर्घ्य देने के लिए दिन के दूसरे पहर से ही श्रद्धालुओं का रेला गंगा, वरुणा के साथ-साथ कुंड और सरोवरों के किनारे पहुंचने लगा। जैसे जैसे दिन ढलता गया व्रती महिलाएं-पुरुष पारंपरिक गीतों को गाते हुए पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। वेदी पूजन के साथ ही सुपेली में फल और ठेकुआ का प्रसाद लेकर जल में खड़ी होकर सूर्योपासना की।
गूंजते रहे पारंपरिक लोक गीत
पुरुष अपने सिर पर फलों और पकवानों से भरे डाल लिए और महिलायें हाथों में सुप लिए परंपरिक परिधान में छठ गीत गाते हुए जब निकली तो पूरा वातावरण छठमय हो गया। श्रद्धालुओं ने अस्ताचल भगवान सूर्य को तालाबों, कुंडों और गंगा घाटों के किनारे विधि विधान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अस्ताचल भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और वैदिक रीति से पूजा-अर्चना की। इस दौरान छठ पूजा के पारंपरिक लोक गीत गूंजते रहे।
सुरक्षा के कड़े थे प्रबंध
महापर्व के अवसर पर सभी घाट रंगीन रौशनी से नहाए हुए है। साथ ही पुलिस प्रशासन की ओर से घाटों, कुंडों और सरोवरों पर सुरक्षा के लिए जवान तैनात किए गए हैं। वहीं पानी मे भी बैरिकेडिंग कर एनडीआरएफ की टीम तैनात की गई है। ताकि कोई गहरे पानी मे न जा सके। वहीं घाटों तक जाने वाले रास्तों पर भी बैरिकेडिंग कर रुट डायवर्जन किया गया था ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा समापन
इसके पहले व्रतियों ने शाम भगवान सूर्य की अराधना की और खरना किया था। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत पूरा हो जाएगा। इसके बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण करेंगे।
साफ-सफाई का रखते हैं खास ध्यान
यह एक ऐसा प्रकृति पर्व है, जिसकी सारी परंपराएं कुदरत को बचाने बढ़ाने और उनके प्रति कृतज्ञता जताने का संदेश देती है। इस पर्व में सबसे पहले साफ सफाई और पवित्रता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। घरों से लेकर घाटों तक की सफाई होती है। सूर्य को जल और दूध अर्पण करने के अतिरिक्त ऐसी कोई भी चीज विसर्जित नहीं की जाती, जो नदियों में प्रदूषण बढ़ाए। यह दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें न सिर्फ उगते हुए बल्कि डूबते सूर्य की भी अराधना की जाती है। छठ मैय्या की आराधना के लिए व्रत के बहुत कठोर नियम है। इस पर्व पर श्रद्धालु 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं। छठ के दूसरे दिन यानी खरना की शाम को व्रती पूजा कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। उसके बाद वह सीधे छठ के चौथे दिन यानी उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद ही अन्न जल ग्रहण करते हैं। इस व्रत में शुद्धता और पवित्रता का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।