ध्रुपद की दूसरी निशा में पांच कलाकारों ने दी प्रस्तुति

सरोद वादन युवा कला साधक विजित सिंह मंचासीन ने किया । सेनिया मैहर घराने की शिष्य परंपरा को विस्तार देने वाले विजित ने रागश्री में आलापचारी और चौताल में गतकारी से अपने रियाज की बानगी पेश की। जटिल स्वर रचना को तंत्रकारी के माध्यम से सहज अभिव्यक्ति दी। वरिष्ठ पखावजी पं. रविशंकर शुक्ल पंचम के पखावज वादन ने तंत्र ध्वनियां विशेष प्रभाव के साथ श्रोताओं तक पहुंचीं।

ध्रुपद की दूसरी निशा में पांच कलाकारों ने दी प्रस्तुति

युवा कलाकारों ने किया अपने उड़ान का प्रदर्शन

वाराणसी/भदैनी मिरर। तुलसी घाट पर आयोजित चार दिवसीय ध्रुपद मेला की दूसरी निशा में पांच कलाकार मंचासीन हुए। इनमें से चार युवाओं ने बीते एक साल में इनकी उड़ान कितनी ऊंची हुई इसका प्रदर्शन अपने गायन-वादन के माध्यम से किया।

पहली प्रस्तुति डा. आशीष जायसवाल ने राग यमन में आलापचारी की। । उनके साथ पखावज पर डॉ. अंकित पारिख, तानपुरा पर पीयूष एवं तरुण ने सहयोग किया। कार्यक्रम को नगर की दूसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि कलाकार प्रबाल नाथ ने अपने ओजपूर्ण पखावज वादन से गतिमान किया। मृदंगाचार्य पं. गुरुदास घोष के शिष्य प्रबाल ने सूल ताल, चौताल और आड़ा ताल में विविधतापूर्ण वादन किया। दाहिने पट से बोलों की टनकार और बाएं से निकल रही गंभीर थाप के बीच का तारतम्य समय संतुलन में निपुण्ता की बानगी बना।

इसके बाद सरोद वादन युवा कला साधक विजित सिंह मंचासीन ने किया । सेनिया मैहर घराने की शिष्य परंपरा को विस्तार देने वाले विजित ने रागश्री में आलापचारी और चौताल में गतकारी से अपने रियाज की बानगी पेश की। जटिल स्वर रचना को तंत्रकारी के माध्यम से सहज अभिव्यक्ति दी। वरिष्ठ पखावजी पं. रविशंकर शुक्ल पंचम के पखावज वादन ने तंत्र ध्वनियां विशेष प्रभाव के साथ श्रोताओं तक पहुंचीं। चौथी प्रस्तुति गुण्डेचा बंधु के सुयोग्य शिष्य सुप्रियो मोइत्रा की थी। उन्होंने राग जोग में आलाप एवं चौताल में निबद्ध रचना ‘कब होवे ज्ञान’ का प्रभावी गायन किया। पखावज पर आदित्य दीप, तानपुरा पर सहयोग पीयूष पाटिल एवं वीर कुशवाहा ने सहयोग दिया। दूसरे निशा की अंतिम प्रस्तुति स्वतंत्र पखावज वादन की रही। रामदास के शिष्य परंपरा के संवाहक विवेकानंद पाण्डेय ने गणेश परण से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की एवं पारंपरिक रचनाएं सुनाई उनको सारंगी पर सहयोग ध्रुव सहाय ने दिया।कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीतेश आचार्य एवं सौरभ चक्रवर्ती ने किया।