अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: फिल्म इंडस्ट्रीज ने भी महिला उत्पीड़न पर जागरुकता के लिए बनाई है फिल्में, इन 8 अभिनेत्रियों ने फ़िल्म को पहुंचाया शिखर तक...

International Women's Day: Film industries have also made films for awareness on women's oppression, these 8 actresses took the film to the top. महिला उत्पीड़न को लेकर फिल्म इंडस्ट्रीज काफी पहले से ही फिल्मों के माध्यम से जागरूक करती रही है.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: फिल्म इंडस्ट्रीज ने भी महिला उत्पीड़न पर जागरुकता के लिए बनाई है फिल्में, इन 8 अभिनेत्रियों ने फ़िल्म को पहुंचाया शिखर तक...

वाराणसी,भदैनी मिरर। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1975 में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाने का फैसला लिया। तबसे आज तक 8 मार्च को महिलाओं को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने और किसी प्रकार के लैंगिक मतभेद का शिकार होने से बचाने के लिए प्रयास जारी हैं। लेकिन अभी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। सही मायने में महिलाओं की बेहतरी के लिए संतुलन बनाने के लिए सिर्फ क़ानून बनाना काफी नहीं बल्कि उन सभी पहलुओं व मुद्दों की निशानदेही करनी जरुरी है जिन पर अभी भी बहुत काम करने की दरकार है। हमारे देश में महिलाओं को सामाजिक,आर्थिक,शारीरिक,व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर कैसी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं और उन पर क्या किया जा सकता है इस पर विमर्श करना जरुरी है।

इस खास अवसर पर 'भदैनी मिरर ' फिल्म जगत की उन अभिनेत्रियों को याद कर रहा है जिन्होंने महिला शोषण के मुद्दों पर आधारित फिल्म में अपना किरदार निभाते हुए फिल्मों को शिखर तक पहुंचाया। 

आंधी (1975) 

गुलजार द्वारा निर्देशित फिल्म 'आंधी' 1975 में रिलीज हुई थी। यह एक विवादित फिल्म थी। इस पर विवादो की ऐसी आंधी उठी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर फिल्म के प्रदर्शन पर बैन लगा दिया गया था। कथित रूप से गांधी के जीवन पर आधारित फिल्म की नायिका सुचित्रा सेन का पूरा गेटअप उनसे प्रेरित था। इस फिल्म को क्रिटिक्स ने बहुत सराहा था। 

दामिनी (1993)

1993 में आई राजकुमार संतोषी की फिल्म 'दामिनी' में मीनाक्षी शेषाद्री ने लीड रोल निभाया था। दामिनी एक ऐसी महिला की कहानी थी जो अन्याय के खिलाफ लड़ती है। और इंसाफ के लिए अपने परिवार के भी खिलाफ हो जाती है। इस फिल्म में मीनाक्षी शेषाद्री ने जबरदस्त अभिनय किया था। इसी के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस नॉमिनेशन मिला था। 

नो वन किल्ड जेसिका (2011)

राजकुमार गुप्ता द्वारा निर्देशित ' नो वन किल्ड जेसिका' फिल्म सनसनीखेज जेसिका लाल हत्याकांड पर आधारित थी। सबरीना और मीरा गैटी की भूमिकाओं में विद्या बालन और रानी मुखर्जी ने जबरजस्त अभिनय किया था। उनसे बेहतरीन शाहद ही दूसरा कोई कलाकार एक्टिंग कर सकता था। इन दोनों ऐक्ट्रेसेस ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी थी। उस साल की यह कामयाब फिल्मों में से थी। 

कहानी (2012)

सुजॉय घोष द्वारा निर्देशित फिल्म 'कहानी' में विद्या बालन ने मुख्य रोल निभाया था। इसकी हीरोइन विद्या बालन के ही इर्दगिर्द घूमती है।  फिल्म एक महिला के बदले की कहानी है जिसे पर्दे पर विद्या बालन ने जीवंत कर दिया। इस फिल्म के लिए विद्या को फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 

इंग्लिश विंग्लिश (2012)

श्रीदेवी की वापसी फिल्म एक व्यावसायिक और महत्वपूर्ण सफलता थी, और अच्छे कारण के लिए। इसमें, वह एक साधारण मध्यमवर्गीय गृहिणी की भूमिका निभाती है, जो न्यूयॉर्क में अंग्रेजी भाषा की कक्षाओं में भाग लेकर अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस पाने की कोशिश करती है। अगर आपने कभी अपने परिवार और दोस्तों से निराश महसूस किया है, तो यह फिल्म आपके लिए है।

क्वीन (2014)

अकेले हनीमून को कूल बनाने के लिए कंगना रनौत की फिल्म अकेले जिम्मेदार थी। फिल्म में, उनका चरित्र एक शांत महिला से एक आत्मविश्वासी, मुखर महिला होने तक जाता है। इसे न केवल हंसने के लिए देखें, बल्कि जीवन के अनेक पाठों के लिए भी देखें।

पिंक (2016)

यह फिल्म 'नो मीन्स नो' को मेनस्ट्रीम बनाने के लिए जिम्मेदार थी। हालांकि कोर्ट रूम ड्रामा में बहुत कुछ नहीं है, लेकिन यह सहमति और यौन उत्पीड़न पर प्रासंगिक सवाल उठाता है। यह एक मनोरंजक फिल्म है, खासकर मीटू के दौर में।

लिपस्टिक अंडर माय बुर्का (2017)

चार भारतीय महिलाएं पितृसत्ता से निपटने के दौरान अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को संतुलित करने की कोशिश करती हैं। जबकि उनकी कहानियां समानांतर चलती हैं, उन सभी में एक चीज समान है: हमारे समाज द्वारा महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग तरीके से कैसे आंका जाता है। यहां तक कि जब से सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को प्रमाणन से वंचित किया गया था, इसने भारत में महिलाओं की स्थिति और महिलाओं की स्थिति पर बातचीत को उभारा।