RSS प्रमुख पर भड़के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत, बोलें- हम उनकी बात क्यों मानें वह कोई शंकराचार्य है? 

आरएसएस प्रमुख के बयान हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डाक्टर कुलपति तिवारी भड़क गए हैं. उन्होंने कहा है मोहन भागवत संघ प्रमुख हैं वह कोई साधु-संत या शंकराचार्य नहीं है. हम उनकी बात क्यों माने?

RSS प्रमुख पर भड़के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत, बोलें- हम उनकी बात क्यों मानें वह कोई शंकराचार्य है? 

वाराणसी, भदैनी मिरर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का बयान 'हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना' तब आया है जब ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा जोरों पर है। पिछले तीन दिनों से उनका बयान आने के बाद बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने आरएसएस प्रमुख को जमकर खरी- खोटी सुनाई है। डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा है की आरएसएस प्रमुख को यहां मठाधीशी करने के लिए बुलाया ही कौन था, वह एक संघ के प्रमुख है न की साधु-संत या शंकराचार्य।

यह पुरानी भाजपा नहीं जो धर्म के लिए लड़ी थी

मोहन भागवत पर पूर्व महंत कुलपति  तिवारी की खीज यहीं नहीं रुकी, उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख एक वर्ग को नाराज कर दूसरे को खुश करना चाहते है। उन्होंने कहा आरएसएस प्रमुख हिंदुत्व की बात से मुकर गए। वह मैदान से पीछे हट गए। यह धर्म युद्ध है न भईया। हम अपनी लड़ाई लड़ेंगे की नहीं। डॉक्टर तिवारी ने कहा कि जब तक देश की जिम्मेदारी साधु-संतों के पास रही तब तक हम सुरक्षित रहें जब से राजनीति की शुरुआत हुई तब से ऐसी दिक्कतें सामने आने लगी हैं।

डॉक्टर कुलपति तिवारी ने कहा की यह अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, ऋतम्भरा, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह वाली भाजपा नही है जो धर्म के लिए युद्ध की। इस भाजपा की नीति ही समझ नही आती यह वहीं करते है जहां इन्हें फायदा होता है। डॉक्टर तिवारी ने कहा कि इन्हीं के लोग यानी कि बीजेपी और संघ के लोग हल्ला मचाते हैं कि कुतुब मीनार, ताजमहल, लालकिला आदि में मंदिर के प्रमाण है। अब वे अपने वादे से मुकर रहे हैं।

डॉक्टर तिवारी ने मोहन भागवत को कहा कि आपको हिंदुत्व का समर्थन नहीं करना था तो आपने न्यूट्रल बने रहते। हम दुनिया में बाबा विश्वनाथ से बड़ा किसी को नहीं मानते हैं। सत्ता आती-जाती रहेगी, मगर विश्वनाथ यहां यथावत रहेंगे।