76 वर्षीय बुजुर्ग का नेत्रदान: लायंस आई बैंक के सहयोग से पॉपुलर अस्पताल में परिजनों ने करवाया नेत्रदान, बोले चिकित्सक...

76 वर्षीय बुजुर्ग का नेत्रदान: लायंस आई बैंक के सहयोग से पॉपुलर अस्पताल में परिजनों ने करवाया नेत्रदान, बोले चिकित्सक...

वाराणसी, भदैनी मिरर। अंगदान जैसा महादान मुक्ति में बाधक नहीं बल्कि सहायक है। मृत्यु के बाद अपने अंग का दूसरों द्वारा प्रयोग होने के कारण आप किसी न किसी रूप में जीवित ही रहते हैं और धार्मिक लोग यह कहते हैं की आत्मा अमर होता है। यह नश्वर शारीर तो आत्मा का चोला मात्र है। मृत्यु और जन्म वैसे ही है जैसे हम कपडे बदल लेते हैं। 

उक्त बातें ककरमत्ता स्थित पॉपुलर हॉस्पिटल के चैयरमेन डॉ ए के कौशिक ने एक मरीज के मृत्यु के बाद नेत्रदान किये जाने पर कही। डॉ कौशिक ने बताया कि 76 वर्षीय दामोदर दास अग्रवाल विगत कई माह से बीमार चल रहे थे और 3 दिनों से अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती थे। इलाज के दौरान अस्पताल में अंगदान की योजना का पता चलने पर उनके परिजनों ने उनकी मृत्यु के बाद उनका नेत्रदान करने का निर्णय लिया। डॉ कौशिक ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन और लायंस आई बैंक के सामंजस्य से उनका सफल नेत्रदान कराया गया। जो किसी नेत्रहीन को देखने योग्य बना सकेगा।